उंगलियाँ थाम के चलना मैं भटक जाऊंगा
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो थक जाऊंगा |
तुम जो यादों की किताबों के वरक पलटोगे
एक लम्हे के लिए मैं भी झलक जाऊंगा
एक लम्हे के लिए मैं भी झलक जाऊंगा
घर भी जाना है कि अब और पिलाओ न मुझे
मैं नशे में हूँ कहीं और बहक जाऊंगा |
गम -ज़दा पलकों में ठहरा हुआ पानी हूँ मैं
मुझको छेड़ोगे तो छूते ही छलक जाऊंगा |
मैं 'पवन' हूँ मुझे चन्दन का बदन छूने दो
तेरी खुशबू को लिए दूर तलक जाउँगा ||
............पवन श्रीवास्तव