मंगलवार, 18 सितंबर 2012

वक़्त से आजाद .......

मुल्क के  आजाद बन्दों   में से मैं  भ़ी
यानि क़ुछ बर्बाद लोगों  में से मैँ भ़ी !

लाख कोशिश हो मगर जाएँ  न दिल से
ऐसी कुछ बेशर्म यादों        में से मैं भी  !

बुझ चुकी उम्मीद के शोले जला दूँ
जिंदगी की चंद साँसों  में से मैं भी  !

हौसले से तख़्त शाहों के पलट दें
 ऐसे ही जाँबाज प्यादों में से मैं भी !

क्या पता  देंगे ये मेरा माहो - साल
वक़्त से आजाद लम्हों में से मैं भी !!
                                                   .......पवन श्रीवास्तव