बहुरूपिया
मौसम के मिजाजों सा परिवेश बदल लेते हैं.... मन रंग बदलता है,हम वेश बदल लेते हैं.
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झील में कंकड़
उत्सव धर्म
science of life
रविवार, 10 अप्रैल 2011
कत्ता
हर जगह बेखोफ होकर झूम सकती है,
जिंदगी भर मौत को भी चूम सकती है
नवजवानों की तरह सोचा करो तो,
उम्र की सुई भी पीछे घूम सकती है.
---पवन श्रीवास्तव
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