शुक्रवार, 29 जून 2012

आज के गाँव

गंउआ में अजबे बतास बा
गंउआ के मनवा उदास बा !

 घरवा के भीतरी ,भीतरिया के घरवा में
नगवा नगिनिया के बास  बा
सउरी के घरवा में बिरनी के खोंता
सिकहर प टांगल    अन्हार बा

देवता के घरवा में भूतवा रोएला
भंडरवा दलिदरी के बस बा

गउआ के मनवा उदास बा ...

जाँतवा के घरवा में जाँतवा अकेले
ढेंकवा में ढ़ेकवा के लास बा
नएकी बहुरिया के कोनवा-कोठारिया में
कहिए के जामल झलास बा

तुलसी-चउतरा प कुकुर के डेरा
आजी के डेउढ़ी में घास बा

गंउआ के मनवा उदास बा....

बहरी दलानी में बाबा के खाटी
उड़ीस के  इन्द्रा -आवास बा
बडकी केंवाडिया के कुर्सी गढ़ा के
बबुआ के डेरा भेजात  बा

गईअन के नदवन में  चूना फुलावल  जाता
खुंटवन में  दिअका के  बास बा

गंउआ के मनवा उदास बा.......

खिस्सा-कहनियन के टटके समाधी
कउडा के जरिए कोडात बा
निमुआ,अनरवा ,पपितवा के जगहा  प
रेंगनी , धमोइआ  पोसात बा

सातो रे बहिनिया के झुलुहा छिटाइल
 निमिया के पेटेंट लिखात बा

गंउआ के मनवा उदास बा ....

लोंघडल चुहानी में घिउआ के कांटी
दही के नादा भुआत बा
ओटवा के घिंड़सिर प  घइला  ना  गगरी
पुअरा के बीठा सुखात बा

पकवा -ईनरवा के जामुन-जमोट्वा प
आसन जमवले पिआस बा

गंउआ के मनवा उदास बा .......

बाहर दुआरी प खूंटा ना खूँटी
मिसरी के नदिया में चूँटा ना चूँटी
 तोसक ना तकिया  ना कम्मर रजाई
 थाकल बटोही के के ठहराई

हथवा मिलल  बाटे ,मनवा मिलल नइखे
सबके करेजा में घात बा

गंउआ के मनवा उदास बा .........

पुरुब के नदिया के नेटी  टिपाइल
बिजली के खाम्हा गड़ात बा
नब्बे  निमनकन के सहरे में डेरा
दसवा खरबकन के गाँव   बा

स्वर्णिम -चतुर्भुज के पोंछा बनावे खाती
गंउआ के पगरी फरात बा

गंउआ के मनवा उदास बा....

उतरी -मंदिरिया में दिअना जरत नइखे
दखिन सिवाला में जलवा चढ़त नइखे
सादी -बिआह चाहे बरही-किरिअवा में
सबहर सवांगन  के नेवता फिरत नइखे

संझवत के डेहरी प डूबती किरिनिया में
लछिमी के दिअवा धुंआत बा

गंउआ के मनवा उदास बा ....

बैरी पढ़इआ  से मतिया हेराइल
पिअहा-इनरवा में भंगिया घोराइल
फगुओ -दसहरा में घरवा ना आवे
सोनवा बटोरे में बबुआ भुलाइल

लन्दन अमीरका के फेरा में आपन
गंउआ के नांउओं भुलात बा

गं उआ के मनवा उदास बा ....

कतनो बुढ़ाई त माइए कहाई
गंउँअन के माटी ह देसवा के माई
 बबुओ बुढइहें त बबुए कहइ हें
कहिओ ना कहिओ इ बतिया  बुझाई

बतिया बुझाई    त घरवा लवटिहें
माई के मनवा में आस बा ...
माई के मनवा में आस बा।......
                                                   .......पवन श्रीवास्तव

 
 


  

3 टिप्‍पणियां:

  1. Ek dum sahi chitran. E khali humniye ke devdhi aangan ke baat baa ki sabke e he haal baa. Kumsekum hamnike e tasbir badl saktaani ja. Bakir hamar yojana kub sooraj ke dhoop dekhi

    yeh satik kabita khatir bahu bahut badhayee

    - Tohar ghanshyam

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  2. भैया प्रणाम,
    ई रचना में गांव के बहुत ही मार्मिक और सटीक चित्रण बा.
    जाँतवा के घरवा में जाँतवा अकेले
    ढेंकवा में ढ़ेकवा के लास बा
    एकर मतलब कि शहर के पालन कर्ता के हाल बेहाल बा. ठीक कह तानी माई आउर बाबूजी के हाल भी जाँत आ ढेका वाला ही हो गेल बा.
    बडकी केंवाडिया के कुर्सी गढ़ा के
    बबुआ के डेरा भेजात बा
    ऊपर के लाईन में गाँव से पलायन के दर्द
    बाहर दुआरी प खूंटा ना खूँटी
    मिसरी के नदिया में चूँटा ना चूँटी
    तोसक ना तकिया ना कम्मर रजाई
    थाकल बटोही के के ठहराई
    एह लाईन में भारतीय परंपरा के मिट जाये के टीस.
    एह तरह पूरी रचना दिल -दिमाग झकझोर देता.
    धन्यवाद
    राजीव,
    सुरनी/आरा, दिल्ली
    ऊपर के लाईन में गाँव से पलायन के दर्द

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  3. aapki lekhnee jabardast hai
    Satish Tripathi

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