मुल्क के आजाद बन्दों में से मैं भ़ी
यानि क़ुछ बर्बाद लोगों में से मैँ भ़ी !
लाख कोशिश हो मगर जाएँ न दिल से
ऐसी कुछ बेशर्म यादों में से मैं भी !
बुझ चुकी उम्मीद के शोले जला दूँ
जिंदगी की चंद साँसों में से मैं भी !
हौसले से तख़्त शाहों के पलट दें
ऐसे ही जाँबाज प्यादों में से मैं भी !
क्या पता देंगे ये मेरा माहो - साल
वक़्त से आजाद लम्हों में से मैं भी !!
.......पवन श्रीवास्तव
यानि क़ुछ बर्बाद लोगों में से मैँ भ़ी !
लाख कोशिश हो मगर जाएँ न दिल से
ऐसी कुछ बेशर्म यादों में से मैं भी !
बुझ चुकी उम्मीद के शोले जला दूँ
जिंदगी की चंद साँसों में से मैं भी !
हौसले से तख़्त शाहों के पलट दें
ऐसे ही जाँबाज प्यादों में से मैं भी !
क्या पता देंगे ये मेरा माहो - साल
वक़्त से आजाद लम्हों में से मैं भी !!
.......पवन श्रीवास्तव
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