शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

आशियाने की क़सम

आशियाने की क़सम
आबो-दाने की क़सम

झूठी  खाऊंगा     नहीं
मैं निभाने की क़सम

जिसपे कायम है खुदा
उस बहाने की क़सम

कोई   देता  ही    नहीं
दिल लगाने की क़सम 

आज   फिर   टूट   गई
फिर न आने की क़सम

जाइए  ले  के   मगर
लौट आने की क़सम

                                     .............पवन श्रीवास्तव
               





1 टिप्पणी:

  1. जिसपे कायम है खुदा
    उस बहाने की क़सम.....वाह! क्या बात है....
    ----देवेंद्र गौतम

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