कुंडली
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नया जमाना आ गया ,मुक्त हुआ व्यापार,
व्यर्थ अर्थ के स्वार्थ का गर्म हुआ बाजार,
गर्म हुआ बाजार ,ये घर-घर घुसा हुआ है
अपना आदम-जात इसी में फंसा हुआ है,
कह मूरख कविराय ,सुनो भारत के भाई ,
परमारथ की गाय हाँक ले गए कसाई !!
.......पवन श्रीवास्तव
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नया जमाना आ गया ,मुक्त हुआ व्यापार,
व्यर्थ अर्थ के स्वार्थ का गर्म हुआ बाजार,
गर्म हुआ बाजार ,ये घर-घर घुसा हुआ है
अपना आदम-जात इसी में फंसा हुआ है,
कह मूरख कविराय ,सुनो भारत के भाई ,
परमारथ की गाय हाँक ले गए कसाई !!
.......पवन श्रीवास्तव
bahut khoob!
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