मुश्किलों को सादगी की आँख से देखो ,सुनो
जिन्दगी को जिन्दगी की आँख से देखो ,सुनो.
कोहसारों में छुपी है रौशनी ही रौशनी
पत्थरों को जौहरी की आँख से देखो,सुनो.
आपको अपना कोई चेहरा नज़र आ जाएगा
आईने को मुफलिसी की आँख से देखो ,सुनो.
जिन्दगी यकलख्त पैराहन बदल कर आएगी
आंसुओं को गुद-गुदी की आँख से देखो ,सुनो.
हर ग़ज़ल अपनी भजन जैसी लगेगी आपको
शाइरी को बंदगी की आँख से देखो,सुनो.
बस्तिओं में घर ही घर होंगे तुम्हारे वास्ते
ये सफ़र आवारगी की आँख से देखो,सुनो.
.........पवन श्रीवास्तव.
कोहसारों में छुपी है रौशनी ही रौशनी
जवाब देंहटाएंपत्थरों को जौहरी की आँख से देखो,सुनो.
वाह! क्या खूब शेर हुए हैं भाई पवन जी! ...मुबारक हो.
बस्तिओं में घर ही घर होंगे तुम्हारे वास्ते
जवाब देंहटाएंये सफ़र आवारगी की आँख से देखो,सुनो
बिलकुल सही कहा, आपने