उंगलियाँ थाम के चलना मैं भटक जाऊंगा
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो थक जाऊंगा |
तुम जो यादों की किताबों के वरक पलटोगे
एक लम्हे के लिए मैं भी झलक जाऊंगा
एक लम्हे के लिए मैं भी झलक जाऊंगा
घर भी जाना है कि अब और पिलाओ न मुझे
मैं नशे में हूँ कहीं और बहक जाऊंगा |
गम -ज़दा पलकों में ठहरा हुआ पानी हूँ मैं
मुझको छेड़ोगे तो छूते ही छलक जाऊंगा |
मैं 'पवन' हूँ मुझे चन्दन का बदन छूने दो
तेरी खुशबू को लिए दूर तलक जाउँगा ||
............पवन श्रीवास्तव
मैं 'पवन' हूँ मुझे चन्दन का बदन छूने दो
जवाब देंहटाएंतेरी खुशबू को लिए दूर तलक जाउँगा ||
वाह .....क्या बात है ......
पर ध्यान रहे चन्दन के बदनों पे कभी कभी सांप भी लिपटे रहते हैं .....
:))
chandan vish vyapat nahi, Lipate Rahat Bhujang....Ramesh Kumar Singh
जवाब देंहटाएंदर हक़ीक़त मैं किसी ख़्वाब की सच्चाई हूँ /
जवाब देंहटाएंऊँगलियों से न मुझे छू के बिखर जाऊँगा /
सुन्दर, लयात्मक रचना!
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