सागर में बसी धरती
धरती से बन्धा सागर
सागर में कोई सीपी
नन्ही सी भली सीपी
स्वाती की सखी सीपी
सीपी. जो जने मोती
आकाश में एक बादल
बादल का बदल पानी
पानी का घड़ा स्वाती
सीपी का सखा स्वाती
स्वाती जो बने मोती
एक प्यास है सीपी में
एक भूख है स्वाती में
ये प्यास उबलती है
वो भूख पिघलती है
ऋतु-चक्र-प्रवर्तन में
संयोग के एक क्षण में
ये प्यास उबलती है,वो भूख पिघलती है...........
एक अग्नि-परिक्षा है
एक मौन-प्रतिक्षा है
सागर के समर्थन में
बादल के समर्पण में
एक अग्नि-परिक्षा है,एक मौन प्रतिक्षा है ,,,,,,,,,,,,,
एक मोती को जनने में
एक मोती सिरजने में
एक मौत मरी सीपी
जीवन से गया स्वाती
सृजन है तो पीड़ा है
बिसर्जन की क्रीडा है |
अब कौन बने सीपी ?अब कौन जने मोती ?
अब कौन जिए स्वाती?अब कौन बने मोती?
अब कौन मरे ? अब कौन मरे ???
धरती से बन्धा सागर
सागर में कोई सीपी
नन्ही सी भली सीपी
स्वाती की सखी सीपी
सीपी. जो जने मोती
आकाश में एक बादल
बादल का बदल पानी
पानी का घड़ा स्वाती
सीपी का सखा स्वाती
स्वाती जो बने मोती
एक प्यास है सीपी में
एक भूख है स्वाती में
ये प्यास उबलती है
वो भूख पिघलती है
ऋतु-चक्र-प्रवर्तन में
संयोग के एक क्षण में
ये प्यास उबलती है,वो भूख पिघलती है...........
एक अग्नि-परिक्षा है
एक मौन-प्रतिक्षा है
सागर के समर्थन में
बादल के समर्पण में
एक अग्नि-परिक्षा है,एक मौन प्रतिक्षा है ,,,,,,,,,,,,,
एक मोती को जनने में
एक मोती सिरजने में
एक मौत मरी सीपी
जीवन से गया स्वाती
सृजन है तो पीड़ा है
बिसर्जन की क्रीडा है |
अब कौन बने सीपी ?अब कौन जने मोती ?
अब कौन जिए स्वाती?अब कौन बने मोती?
अब कौन मरे ? अब कौन मरे ???
बहुरुपिया जी बहुत सुन्दर कविता प्यारे भाव सुन्दर प्रश्न आप का बधाई हो
जवाब देंहटाएंकिसी न किसी को ये दर्द झेल सृजन तो करना है -
सृजन है तो पीड़ा है
बिसर्जन की क्रीडा है |
अब कौन बने सीपी ?अब कौन जने मोती ?
अब कौन जिए स्वाती?अब कौन बने मोती?
शुक्ल भ्रमर ५