मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

सत्यम शिवम सुन्दरम

सत्य के ,
कटु,तिक्त और रस से रिक्त होने का बयान ?
किसी बाँझ की प्रसव-पीड़ा ,किसी क्लीव की काम-क्रीडा जैसा
अनूठा बयान है .
सरासर झूठा बयान है ....

ध्वनि-विस्तारक चोंगों से चीखतीं
हवाओं में गड्ड-मड्ड होतीं
कटु सच्चाइयाँ ?
झूठ की परछाइयाँ हैं ...
भ्रम-संध्याओं में छायाएं  !
अपनी काया से बड़ी हो गयीं हैं ....

कचकडे के क्लिपों से चपीं,
सूख-सूख कर ऐठ गयीं हैं
रस-श्रावी ग्रंथियां ...!.........इन्द्रियाँ...... ?
मुँह ढाँप कर सो गयीं हैं ..

सच और झूठ के इन कटु-मधु बयानों के संजाल से ..
तड़प भागे .आदमी के पीछे ....
हाथ धो कर पडी हैं ...........
आचार-संहिताओं   की    सशस्त्र सेनाएं .......!!!!!!!!!!!!!!
                                                       ........पवन श्रीवास्तव

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