कहीं भी जाओ , सदाएँ तलाश लेती हैं
"फकीर मन को" , दुआएँ तलाश लेती हैं .
ये ऐसा जख्म कि,इसके लिए न रोए कोई
"दिलों के दर्द" , दवाएँ तलाश लेती हैं .
नज़र के सामने कर लें या छुप-छुपा के कहीं
"मेरा गुनाह" सजाएँ तलाश लेती हैं .
सही के फर्द-बयाँ को दबा के क्या हासिल
"दबी जुबाँ " को कथाएँ तलाश लेती हैं.
मैं अपना नाम किसी से कहूँ ,कहूँ न कहूँ
मेरा वजूद , हवाएँ तलाश लेती हैं .
.........पवन श्रीवास्तव
"फकीर मन को" , दुआएँ तलाश लेती हैं .
ये ऐसा जख्म कि,इसके लिए न रोए कोई
"दिलों के दर्द" , दवाएँ तलाश लेती हैं .
नज़र के सामने कर लें या छुप-छुपा के कहीं
"मेरा गुनाह" सजाएँ तलाश लेती हैं .
सही के फर्द-बयाँ को दबा के क्या हासिल
"दबी जुबाँ " को कथाएँ तलाश लेती हैं.
मैं अपना नाम किसी से कहूँ ,कहूँ न कहूँ
मेरा वजूद , हवाएँ तलाश लेती हैं .
.........पवन श्रीवास्तव
bhaut sunder....
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