मौसम के मिजाजों सा परिवेश बदल लेते हैं
मन रंग बदलता है हम वेश बदल लेते हैं |
बचपन के रिश्तों को कैसे कोई ढूंढें ?
हम,! उम्र बदलते हैं ,वो देश बदल लेते हैं |
हम में , उनमें यारों , इतना ही अंतर है
हम मूल बदलते हैं, वो शेष बदल लेते हैं |
संकेत की दुनिया में , कोई हेरा-फेरी है
वरना कैसे ये लोग सन्देश बदल लेते हैं ?
मुझे कैद उम्र भर की,और तुमको सजा-ए-मौत
आओ ! मेरे भाई आदेश बदल लेते हैं ||
................ पवन श्रीवास्तव
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