सोमवार, 18 जुलाई 2011

mausam ke mijaajon sa..............

मौसम के मिजाजों सा परिवेश बदल लेते हैं
मन रंग बदलता  है     हम वेश बदल लेते हैं |

बचपन के    रिश्तों को       कैसे कोई ढूंढें ?
हम,! उम्र बदलते हैं ,वो देश बदल लेते हैं |

हम में , उनमें यारों ,    इतना ही अंतर है
हम मूल बदलते हैं,  वो शेष  बदल लेते हैं |

संकेत की दुनिया में ,     कोई हेरा-फेरी है
वरना कैसे ये लोग   सन्देश बदल लेते हैं ?

मुझे कैद उम्र भर की,और तुमको सजा-ए-मौत
आओ ! मेरे भाई               आदेश बदल लेते हैं ||

                                                 ................ पवन श्रीवास्तव  

   

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