कुछ न सोचनी कि, के ,केकर ,का ले गइल
ओहिजे गइनी जहाँ रास्ता ले गइल !!
केहू रोकल ना टोकल त पागल हवा
हमरा सपना के सेनुर उड़ा ले गइल !!
हम करेजा में जे कुछ लुकवले रहीं
केहू धीरे से आ के चोरा ले गइल !!
एक पल एक छिन के भुलौना सफ़र
रउया देखनी कहाँ से कहाँ ले गइल !!
उ त बुरबक बना के बुझा ता "पवन"
तहरा धोकरी के सौंसे दुआ ले गइल !!
........पवन श्रीवास्तव
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