काश कभी हम तनहा होते !
तनहा होते आप न होते !!
तन्हाई से बातें होतीं
दिन होते ना रातें होतीं
हमको किसी की याद ना आती
हम भी किसी को याद ना होते
काश कभी हम ...................!!
मैं और मेरा चेहरा होता
आइनों पे पहरा होता
चेहरों के चुभते जंगल से
एक एक चरे पिन्हा होते
काश कभी हम ............................!!
अपने आगे शीश झुकाते
पुण्य गिनाते पाप गिनाते
फिर मेरे पापों के नामे
पुण्य के खाते मिंह होते
काश कभी हम तनहा होते
तनहा होते आप ना होते !!
..........पवन श्रीवास्तव
अच्छा गीत है. तन्हाई की कामना की गयी है. और बताया गया है कि तन्हा होते तो क्या-क्या होता.यही तो समस्या है. तन्हाई मिलती कहां है. मेरा एक शेर था
जवाब देंहटाएंहर तरफ बे-रह-रवी है हर तरफ है शोरो-गुल
इस शिकस्ता शह्र में मिलती है तन्हाई कहां.
----देवेंद्र गौतम